नगाड़ा मीडिया
नगाड़ा मीडिया का प्रयास सदैव भारतीय संस्कृति और वैदिक दर्शन को बढा़वा देना रहा है, अपने दर्शकों एवं पाठकों के लिए हम शिक्षाप्रद लेखों और डाक्यूमेंट्री का प्रसारण करते आये हैं, आज हम आपको श्री राम ऋषि संस्कृत महाविद्यालय कराला रोहणी के संदर्भ में जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं, कृपया हमें प्रोत्साहित करने हेतू अपने विचार व्यक्त करें.
भारत में प्राचीन काल में गुरुकुल पद्धति से शिक्षा का प्रचलन देखा जाता रहा है, ब्रिटिश काल से पहले लाखों गुरुकुलों में विधार्थियों को शिक्षा दी जाती थी, केवल साधारण शिक्षा ही नही अपितु धनुर्विद्या, शास्त्रों एवं समस्त प्रकार की शिक्षा इन गुरुकुल में प्रदान की जाती थी, अंग्रेजों द्वारा भारतीय राजाओं के दमन के साथ ही इन गुरुकुलों को भी नष्ट कर दिया गया. नगाड़ा मीडिया लगातार भारत के उस वैभव शाली विरासत को उजागर करने का प्रयास कर रहा है, ऐसे ही एक संस्थान को हम आज रुबरू कराने लाये हैं जहां आज भी 95 विधार्थी निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, और सबसे बड़ी बात ये संस्थान आज भी अपने यहां रह रहे छात्रों से किसी भी प्रकार का शुल्क नही लेता है, आइये चलते हैं रोहणी के कराला गांव जहां 1905 से निशुल्क वैदिक शिक्षा का प्रसार बिना प्रचार के किया जा रहा है
श्री राम ऋषि संस्कृत महाविद्यालय की सन 1905 में लाला जौहरीमल ने की थी स्थापना
सन 1905 में दक्षिणी दिल्ली के गांव कराला में भारतीय संस्कृति की जागरूकता हेतु पुण्य आत्मा लाला जौहरी मल द्वारा महात्मा भारती रिशी की प्रेरणा से इस संस्था की स्थापना की गयी थी, उद्देश्य था विद्यापीठों में विद्वान शिक्षकों और सनातन कर्मकांड में प्रशिक्षित आचार्य की कमी को पूरा करना. आज 120 वर्ष के बाद भी ये संस्था बिना किसी सरकारी फंड और प्रचार के कार्यरत हैं।।
वर्तमान में लाला जानकी दास कर रहे हैं संरक्षण
संस्था में शिक्षा प्राप्त कर रहे 95 छात्रों के पठन पाठन और रहने खाने की व्यवस्था लाला जानकी दास कर रहे हैं. इस संस्था में किसी बाह्य व्यक्ति द्वारा फंडिंग नही स्वीकार की जाती है, लाला जानकी दास से पहले लाला भोगामल, नादरमल, लाला मोहन लाल द्वारा संस्था का विकास किया गया,
2 एकड़ परिसर में 26 कक्षों में रहते है शिक्षक, विधार्थी
गांव कराला में बाहरी ओर बने इस गुरूकुल में कुल 26 कक्ष हैं जिनमें कक्षाएं, बरांडा, परिसर मंदिर आदि बना हुआ है, आज भी सादगी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ इस संस्था मे बच्चों को संस्कृत भाषा का पठन कराया जाता है, सन 1905 से संस्कृत भाषा के पठन पाठन में इस गुरुकुल का विशेष स्थान रहा है
रोहणी के सेक्टर 22 के पास स्थित है कराला गांव
1905 में जब इस संस्था की स्थापना की गयी थी तब इस पूरे क्षेत्र में जंगल की भरमार थी, लोग आने जाने में कतराते थे लेकिन आज यहां मैट्रो, बस आदि की पूरी व्यवस्था है. रिठाला मैट्रो से बस, ग्रामीण सेवा आटो की सहायता से कराला पहुंचा जा सकता है, यहां का रमणीय वातावरण आपका मन मोह लेगा।।
किस कक्षा और आयुवर्ग के बाद यहां लें प्रवेश
इस गुरुकुल में कक्षा 8 के बाद संस्कृत शिक्षा के इच्छुक छात्र कक्षा 8 के बाद प्रवेश ले सकते हैं, कम से कम 12 वर्ष की आयु के बच्चे ही यहां प्रवेश ले सकते हैं, यह गुरुकुल केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (CSU) जनकपुरी से मान्यता प्राप्त है जोकि 12 +3 फॉर्मेट पर शिक्षण प्रदान करता है। इस गुरुकुल में प्रवेश के इच्छुक छात्र रोहित शास्त्री जी से 9350213703 पर सम्पर्क कर सकते हैं
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