नगाड़ा मीडिया डेस्क | मुनेन्द्र शर्मा
कुख्यात अपराधी मुख्तार अंसारी की जिला अस्पताल में हुई मौत पर सोशल मीडिया में मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है, जहाँ समर्थक इसे हत्या बता रहे हैं वहीं बड़ी संख्या में लोग इसे एक दुर्दांत अपराधी को जमींदोज करना बता खुशी जाहिर करते नजर आ रहे हैं, किन्तु इस खबर के साथ ही एक और व्यक्ति का नाम चर्चा में है और ये व्यक्ति है स्वर्गीय कृष्णानंद राय जोकि 2002 में गाजीपुर की मौहम्मदाबाद सीट पर मुख्तार अंसारी के बड़े भाई को हराकर विधायक बने थे, और 2005 में एक के 47 से लगभग 500 + फायर कर उनकी हत्या करदी गयी थी, जिसमें से 67 गोलियां तो मृतक विधायक की देह से निकाली गईं थीं
आइये जानते हैं भारत के सबसे सनसनीखेज हत्याकांडों में से एक कृष्णानंद राय की हत्या पर नगाड़ा मीडिया की एक विस्तृत रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल जहां वर्चस्व के लिए लंबे समय से खूनी संघर्ष होते आये हैं लेकिन जिस संघर्ष की बात आज हम कर रहे हैं इसे हम पूर्वांचल या उत्तर प्रदेश का ही नही अपितु भारत के सबसे सनसनीखेज हत्याकांडों में शुमार कर सकते हैं, कारण है इसे अंजाम देने के लिए यानि एक व्यक्ति की हत्या के लिए लगभग 500 + बुलेट फायर किये गये, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस व्यक्ति को मारने के लिए हत्यारे किसी भी हद तक जाने को तैयार थे।।20 02 में गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से कृष्णानंद राय ने मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी को हरा दिया था। इसे दोनों भाइयों ने अपनी इज्ज़त का मुद्दा बना लिया। कहते हैं कि इसके बाद मुख्तार ने अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया कि कैसे भी करके कृष्णानंद को रास्ते से हटाना है। कृष्णानंद राय की हत्या के दौरान जेल में था मुख्तार, और संदिग्ध परिस्थितियों में मात्र एक माह पहले अपनी जमानत तुड़वाकर जेल मुख्तार जेल गया था, गाजीपुर के बसनियां गांव में 29 नवंबर 2005 को एके-47 से अंधाधुंध गोलियां बरसाकर तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय सहित सात लोगों की हत्या की गई थी।29 नवंबर 2005 को 8 लोगों पर बरसी थी मौत29 नवंबर 2005 को गाजीपुर के गोडउर गांव में सर्द हवाएं किसी आने वाली अनहोनी को इंगित कर रही थी, इन सबसे बेखबर विधायक कृष्णानंद राय किसी कार्यक्रम में जाने के लिए तैयार हो रहे थे, मुख्तार अंसारी जेल में था इसलिए चिंता थोड़ी सी कम थी, शाम का समय था कुछ देर पहले ही छिटपुट बारिश हुई थी, कृष्णानंद राय पड़ोस के सियारी गांव में जाने की तैयारी कर रहे थे। एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के लिए उन्हें चीफ गेस्ट बनाया गया था। समीप के गांव में ही जाना था, इसलिए राय बेफिक्र थे। बुलेटप्रूफ गाड़ी बजनी होती है थोड़ा भारी चलती है इसलिए गाड़ी घर पर ही छोड़ दी थी। वह दूसरी गाड़ी से निकले। यह उनकी जिंदगी की आखिरी भूल साबित हुई थी।कृष्णानंद राय के भाई रामनारायण राय ने पूरी घटना पर कोर्ट में बयान दिया था। उन्होंनें बताया था कि टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के बाद राय शाम करीब चार बजे अपने गनर निर्भय उपाध्याय, ड्राइवर मुन्ना राय, रमेश राय, श्याम शंकर राय, अखिलेश राय और शेषनाथ सिंह के साथ कनुवान गांव की ओर जा रहे थे। राम नारायण राय के अनुसार, वह खुद दूसरे लोगों के साथ कृष्णानंद राय की गाड़ी से पीछे चल रही गाड़ी में सवार थे।बसनियां चट्टी गांव से डेढ़ किलोमीटर आगे जाने पर सिल्वर ग्रे कलर की एसयूवी सामने से आई। उसमें से सात-आठ लोग निकले। उन्होंने एके-47 से गोलियों की बौछार कर दी। इसमें विधायक समेत सात लोगों की हत्या हुई। मामला गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के अंतर्गत दर्ज किया गया। इसमें करीब 500 राउंड फायरिंग हुई। मोस्टमार्टम में कृष्णानंद राय के शरीर से अकेले 67 गोलियां निकली थीं। यह घटना उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे सनसनीखेज राजनीतिक हत्याओं में दर्ज हो गई।
15 लोगों की चुन चुनकर की गयी थी हत्या
पूर्वांचल में वर्चस्व के लिए खूनी जंग का एक लंबा इतिहास रहा है। वर्ष 1996 और 1999 में गाजीपुर लोकसभा का चुनाव मनोज सिन्हा ने जीता था। दोनों ही चुनावों में मनोज सिन्हा का कृष्णानंद राय और उनके लोगों ने खुला समर्थन किया था। मुख्तार को यह पसंद नहीं आया। इस बीच नया मोड़ तब आया जब 2002 में अफजाल अंसारी विधानसभा का चुनाव हार गया।गाजीपुर में मनोज सिन्हा के बढ़ते वर्चस्व और कृष्णानंद राय की जीत से मुख्तार अंसारी खेमा बौखला गया। 2004 का लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो खूनी जंग एक बार फिर शुरू हुई। फरवरी 2004 में कृष्णानंद राय के खास रहे अक्षय कुमार राय उर्फ टुनटुन पहलवान की गाजीपुर में सरेआम हत्या कर दी गई। 26 अप्रैल 2004 को कृष्णानंद राय के करीबी झिनकू की हत्या कर दी गई। फिर मोहम्मदाबाद रेलवे फाटक के समीप भाजपा कार्यकर्ता शोभनाथ राय की हत्या कर दी गई।27 अप्रैल 2004 को दिलदारनगर में रामऔतार पर अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या कर दी गई। लोकसभा चुनाव के बाद बाराचवर विकास खंड मुख्यालय पर कृष्णानंद राय के करीबी अविनाश सिंह पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। अक्तूबर 2005 में एक मामले में अपनी जमानत रद्द करा कर मुख्तार अंसारी जेल चला गया। इसके लगभग एक माह बाद नवंबर 2005 में कृष्णानंद राय और उनके काफिले में शामिल सात अन्य लोगों पर 400 राउंड से ज्यादा फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया था।
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